सुशांत सिंह का यूं जाना...... अविश्वसनीय

-भूपेंद्र कुमार अस्थाना

Shushant singh rajput
Shushant singh rajput


- सुशांत सिंह राजपूत महज 34 वर्ष के थे।

- चित्रकारों ने उकेरा सुशांत के चित्र - अश्विनी प्रजापति, सौम्या अस्थाना , राज द्विवेदी ने सुशांत सिंह राजपूत को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि चित्र बना कर दिया। 
अश्वनी प्रजापति 

     आज जब सुशांत सिंह राजपूत (21 जनवरी 1986 - 14 जून 2020 ) के निधन की ख़बर सुना तो यह अविश्वसनीय लगा। फिर लगातार समाचार चैनलों पर देखा और जब सोशल मीडिया पर लोगों ने सुशांत को याद करते हुए पोस्ट लिखने लगे तो अंत में मानना पड़ा। यह सुशांत के करोड़ों चाहने वालों के लिए दुःखद ख़बर है।
सुशांत के इस तरह जाने की खबरों के पीछे कुछ न कुछ रहस्य जरूर है। यह तो अब पुलिस की जांच में ही पता चलेगा। 
    बहरहाल अब सुशांत सिंह हम सबके बीच शरीर से नहीं रहे। अब तो उनके किरदारों की ही चर्चा होती रहेगी और इसी माध्यम से सुशांत हम सबके बीच सदा रहेंगे। उनकी शानदार अभिनय को हमेशा याद किया जाएगा। लोग इस बात की भी चर्चा कर रहे हैं कि सुशांत अवसाद के शिकार थे। शायद यह भी एक वजह सुशांत के मौत की हो सकती है।
सुशांत सिंह उभरते हुए शानदार अभिनेता थे। इससे बढ़कर इनके शानदार व्यक्तित्व ने सभी को प्रभावित किया। सुशांत ने अपने अभिनय से सबको अपना बनाया।



- सोशल मीडिया पर सुशांत को भावभीनी श्रद्धांजलि देने वालों का तातां लगा है ।
-एक सप्ताह पहले ही उनकी पूर्व मैनेजर दिशा सालियान ने भी सुसाइड कर लिया था. उन्होंने बालकनी से कूदकर आत्महत्या की थी।

परिचय
- सुशांत सिंह राजपूत भारतीय टीवी और फ़िल्म अभिनेता थे। इनका जन्म 21 जनवरी 1986 को सुशांत का जन्म बिहार के पूर्णिया जिले के महीदा में हुआ था। 
राजपूत की शुरूआती पढ़ाई सेंट कैरेंस हाई स्कूल, पटना से हुई है और इसके आगे की पढ़ाई दिल्ली के कुलाची हंसराज माॅडल स्कूल से हुई है। इसके बाद दिल्ली काॅलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग से उन्होंने मैकेनिल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। 
सर्वप्रथम उन्होनें परदेश में है मेरा दिल नामक धारावाहिक में काम किया पर उनको पहचान एकता कपूर के धारावाहिक पवित्र रिश्ता से मिली। इसके बाद उन्हें फ़िल्मो के प्रस्ताव मिलना शुरु हुए। फ़िल्म काय पो छे ! में वो मुख्य अभिनेता थे और उनके अभिनय की तारीफ़ भी हुई। इसके बाद वो शुद्ध देसी रोमांस में वाणी कपूर और परिणीति चोपड़ा के साथ दिखे। फ़िल्म सफल रही और सुशांत का फ़िल्मी करियर परवान चढ़ गया।
टेलीविजन की दुनिया में 'पवित्र रिश्ता' के साथ घर घर में नाम कमाने के बाद साल 2013 में सुशांत ने बॉलीवुड फिल्मों में एंट्री ली ।

 टीवी कार्यक्रम
2008–2009: किस देश में है मेरा दिल - प्रीत ललित जुनेजा के रूप में
2009–2011: पवित्र रिश्ता - मानव दामोदर देशमुख के रूप में
2010–2010: ज़रा नचके दिखा - (सीज़न 2) प्रतिभागी के रूप में
2010–2011: झलक दिखला जा 4 - प्रतिभागी के रूप में

सुशांत ने ‘काय पो  छे ’ फिल्म से अपना फिल्मी सफर शुरू किया। 
 

सुशांत की मुख्य फ़िल्में

2013 काय पो चे- ईशान भट्ट 
2013 शुद्ध देसी रोमांस- रघु राम
2014      पी के- सरफ़राज़ यूसुफ़
2015 डिटेक्टिव ब्योमकेस बख्शी- ब्योमकेस बख़्शी 
2016 एम.एस. धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी-महेेंद्र सिंंह धोनी
2017 राबता-  प्री प्रोडक्सन
2018 चंदा मामा दूर के-  प्री प्रोडक्सन
2018 केदारनाथ- मनसूर,
2019       छिछोरे सुशांत की अंतिम फ़िल्म थी।



- फ़िल्म धोनी में सुशांत के सह कलाकार (अभिनेता) आलोक पाण्डे ने बताया कि विश्वास नहीं हो रहा कि सुशांत जी नहीं रहे। वे बहुत ही आध्यत्मिक विचारधारा के और बेहद शानदार व्यक्ति थे। हम लोग लगभग डेढ़ महीने रांची में साथ रहे फ़िल्म धोनी के लिए। उन्होंने हमेशा एक बड़े भाई की तरह हम सबको समझाते थे। हमेशा मुझे प्रोत्साहित करते रहे। मेरी यह फ़िल्म सुशांत के साथ एकलौता फ़िल्म था। उनकी लास्ट फ़िल्म छिछोरे के लिए लास्ट टाइम बात हुई थी। लखनऊ सेंट्रल के लिए उन्होंने मुझे बधाई दी थी। सुशांत बेहद अच्छे इंसान थे। वे हमेशा हमसब के बीच रहेंगे। 

सुशांत सिंह राजपूत आलोक पांडे के साथ

-मुख्य किरदार निभाने वाले थे सुशांत

                                      

- सुशांत उस फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने वाले थे जो लखनऊ कला महाविद्यालय की एक सनसनीखेज घटना पर आधारित थी. यह घटना पिछली सदी के आखिरी दशक की है, जब कालेज में स्नातकोत्तर (एम एफ ए) कक्षाओं को खुलवाने के लिए चल रहे छात्र आंदोलन ने अचानक एक नया मोड़ ले लिया था. हुआ यह था कि बी एफ ए (फाइन आर्ट्स) फाइनल इयर के एक छात्र गिरीश तिवारी की अगुवाई में अन्य तीन छात्रों ने लखनऊ से उड़ान भरने वाले एक विमान ✈ का अपहरण (हाईजैक) कर लिया था.  बस फिर क्या था तहलका मचना था सो मच गया. आंदोलन सफल रहा था पर इन चारों को असहनीय पीड़ाओं से गुजरना पड़ा था ।                                  
     इस कहानी के हीरो गिरीश लखनऊ के ही निवासी हैं। दृढ़ इच्छाशक्ति वाले इंसान हैं, और कला-क्षेत्र में एक परिचित नाम है उनका. सुशांत गिरीश का ही पात्र निभाने वाले थे. फिल्म पर कोई पांच वर्षों से काम चल रहा था. सब कुछ तय था. बस फिल्म की विधिवत घोषणा होंनी बाकी थी. कोरोना त्रासदी के कारण सब टल रहा था. कला महाविद्यालय से फिल्म की शूटिंग भी शेड्यूल्ड बताई जा रही थी. पर होंनी को कौन टाल सकता है, और  अचानक वह नायक आज फंदे पर झूल गया! ईश्वर उसकी आत्मा को शांति दे इतना ही कह सकता हूं।
 - अखिलेश निगम (लखनऊ)
    -सुशांत सिंह राजपूत एक शानदार अभिनेता और एक अच्छे इंसान थे। जिन्होंने फिल्मों में अपने अभिनय से लोगों को लोहा मनवाया।
    कला एवं शिल्प महाविद्यालय लखनउ के एक घटना पर बनने वाले फ़िल्म में मेरे भूमिका को सुशांत   सिंह अपने अभिनय से सजाने वाले थे। यह मेरे लिए और कला महाविद्यालय के लिए एक अच्छी बात थी। लेकिन आज उनका इस तरह दुनियां छोड़कर चले जाना हम सबको स्तब्ध कर दिया। सुशांत सिंह राजपूत जैसे प्रतिभाशाली युवा के निधन पर भावभीनी श्रद्धांजलि
 - गिरीश तिवारी

यादगार पल

    सुशांत से जब मैं पहली बार मिला था उस दौरान शाहरुख की फ़िल्म चक दे इंडिया आई थी 2010 की बात हो सकती है  किसी छोटे से अनौपचारिक कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति भीड़ में  किसी ने सवाल दागा कैसे हो सुशांत कैसा चल रहा है तुम्हारा काम तब उन्होंने शर्मीले और संकोची स्वर में कहा था सब ठीक है दादा कोई सीरियल में शूट चल रहा है कुछ फिल्में भी मिल रहीं हैं तब मैं इंदौर में एक फ़िल्म एडिटिंग का छोटा सा कार्यशाला का हिस्सा था और सुशांत भी इतने लोकप्रिय नही थे। बहुत ही संकोची और शर्मीले स्वभाव के इस कलाकार ने बिहार जैसे छोटे कस्बे से निकल कर अपना मुकाम बनाया उनकी मौत फ़िल्म इंडस्ट्री की कोई पहली मौत नहीं है आत्महत्या क़रार कर देना आम बात रही है पर सुशांत के आत्महत्या के पीछे वर्तमान आर्थिक स्थिति भी हो सकती है अब आप कहेंगे की इतने बड़े स्टार की आर्थिक स्थिति कैसे खराब हो सकती है इसका उदाहरण माइकल जैक्सन के जीवन से आप ले सकते हैं जिसके ऊपर अकूत कर्ज़ रहता था कमाई के बाद वो चुका देता था इलाहाबाद के गीतकार संजय मासूम जी जानते हैं इंडस्ट्री में अर्थ की स्थिति की हक़ीक़त को उन्होंने उनके लिए फ़िल्म संवाद भी लिखे थे सुशांत पर राजपूत नाम को लेकर करणी सेना द्वारा राजनीतिक दबाव के शिकार भी कुछ दिनों से वो हो रहे थे। मौत के इस अंज़ाम तक आने के पीछे के कारणों पर विस्तार से जांच होनी चाहिये ।
सुशांत का शांत स्वभाव उनके व्यक्तित्व का हिस्सा रहा लेकिन इस तरह शांत हो जाना सामान्य नहीं लग रहा। हृदय से अश्रुपूरित श्रद्धांजलि💐💐💐
    -धनञ्जय सिंह ठाकुर, प्रयागराज 

- भूपेंद्र कुमार अस्थाना  
  चित्रकार  एवं कला समीक्षक 
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