आज का विचार

                    
मान 0 का अकेले कुछ भी नहीं माना,
किसी के साथ मिल बैठे तो कीमत कौन जाने है।
अगर 0 रहे आगे तो सबका मान घटता है
रख इसे पीछे ही इसका भी मान बढ़ता है
अगर ये साथ मिल बैठे तो तन्हा कौन रहता है
तेरे घर हैं बड़े 0 परेशां क्यों तू रहता है
तुझे 0 की ताकत को एक नंबर ही देना है
वो नम्बर कौन होगा ये तुझे पहचान लेना है
कमी 0 में नहीं साहब 
इसे रखना कहाँ है हम अक्सर भूल जाते हैं
मान 0 का अकेले कुछ भी नहीं माना,
किसी के साथ मिल बैठे तो कीमत कौन जाने है।






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